महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अत्याचारों को रोकना सरकार की ज़िम्मेदारी :राहेला खान
फ़राज़ कलीम खान
रामपुर। सामाजिक कार्यकर्ता राहेला खान ने प्रेस को जारी एक बयान कहा कि निर्भया कांड के बाद कानूनों में सुधार के बावजूद रेप की बढ़ती घटनाओं ने सरकार और पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में रेप और हत्या की घटनाओं ने इस मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है।
आखिर महिलाओं के खिलाफ ऐसे बर्बर मामलों पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है ? इस सवाल पर सरकारों और समाजशास्त्रियों के नजरिए में अंतर है। मुश्किल यह है कि सरकारें या पुलिस प्रशासन ऐसे मामलों में कभी अपनी खामी कबूल नहीं करते। इसके अलावा इन घटनाओं के बाद होने वाली राजनीति और लीपापोती की कोशिशों से भी समस्या की मूल वजह हाशिए पर चली जाती है। यही वजह है कि कुछ दिनों बाद सब कुछ जस का तस हो जाता है। वर्ष 2018 में हुए थॉम्पसन रॉयटर्स फाउंडेशन के सर्वेक्षण के मुताबिक, लैंगिक हिंसा के भारी खतरे की वजह से भारत पूरे विश्व में महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देशों के मामले में पहले स्थान पर था।
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