भारत आत्मनिर्भर अभियान के कारण प्रतिदिन 2 लाख पी. पी. ई. किट तथा दो लाख एन-95 मास्क का उत्पादन कर रहा है:डॉ पुलकित अग्रवाल
गौरव जैन
मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय में दो दिवसीय वेविनार का हुआ शुभारंभ
रामपुर। मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय में "आत्मनिर्भर भारत -- वास्तविकता या मिथक" शीर्षक पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुल्तान मोहम्मद खान ने सभी लोगो का आभार व्यक्त करते हुए शुभकामनाएं दीं।
इस कार्य क्रम का आरंभ करते हुए डॉ. पुलकित अग्रवाल ने राष्ट्रीय वेबिनार में होने वाले सभी अधिवेशनों के संदर्भ में विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि एक समय था कि भारत में एक भी पी. पी. ई. किट और एन-95 मास्क नहीं बनाए जाते थे तथा इनका आयात किया जाता था किन्तु अब भारत आत्मनिर्भर अभियान के कारण प्रतिदिन 2 लाख पी. पी. ई. किट तथा दो लाख एन-95 मास्क का उत्पादन कर रहा है जिनका विदेशो में भी अब निर्यात हो रहा है।
इसके पश्चात भारतीय आर्थिक स्तिथि के अध्यक्ष वी. के. मल्होत्रा और सचिव जे. के. मदान ने अपना आशिर्वाद तथा शुभकामनायें देते हुए भारतीय आत्मनिर्भर अभियान की विशेषता तथा महत्ता पर प्रकाश डाला।
इस कार्येक्रम में प्राचार्य एस. एस. पी. जी. कॉलेज के डॉ. ए. के. मिश्रा ने भी अपने विचार आत्मनिर्भर भारत के सम्बन्ध में व्यक्त किये।
इस मौके पर कार्येक्रम के मुख्य संयोजक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने सभी लोगो का स्वागत सम्बोधन करते हुए आभार व्यक्त किया तथा कहा कि आज आत्मनिर्भर अभियान के कारण ही भारत की कंपनी भारत बायोटेक कोविड-19 की वैक्सीन बनाने के समीप है।
इस दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार के प्रथम अतिथि वक्ता डॉ. अनिर्बान सरकार ने बताया कि किस प्रकार से हम सब मिल कर आत्मनिर्भर भारत बनाने का प्रयास कर सकते हैं। आज़ादी के बाद के दशकों में राज्य द्वारा संचालित भारी उद्द्योगो और सामरिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता ने भारत को अधिकांश विकासशील देशों से आगे रखा था, इसी प्रकार हम सब भारतियों को एक बार फिर से यह कार्य करने कि आवश्यकता है। भारत पूरी तरह से "तीसरी औद्योगिक क्रांति से चूक गया" जिसमे तथाकथित समाप्त हुए दशक के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामान, माइक्रो प्रोसेसर, पर्सनल कंप्यूटर, मोबाइल फ़ोन, विकेन्द्रित विनिर्माण तथा वैश्विक मूल्यय श्रंखलाएं शामिल हैं।
इस वेबिनार के द्वित्तीये अतिथि वक्ता डॉ. कलवनजीत कौर ने बताया कि हमें वास्तविक स्वयत्ता या नई तकनीकी दिशाओं में परिवर्तन के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। इसके बजाय कार्य के लिए क्षमता और पैमाने के साथ सार्वजनिक उपक्रमों को कम किया गया था, साथ ही कई नवगत अनुसंधान और विकास प्रयासों की देश को आवशयकता है।
इसके पश्चात इस वेबिनार के प्रथम दिन के तृतीय तथा अंतिम वक्ता प्रो. रंगा रेड्डी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार की ओर से जो भी आर्थिक पैकेज दिए गए हैं, उन पैकेजों का उपयोग करते हुए हम सभी आत्मनिर्भर भारत बनाने में सफल हो सकते हैं।
इस कार्येक्रम में मुख्य रूप से डॉ. शुमाइला नईम, राबिया खान, माहिरा अख़लाक़, ज़ीशान खान, सय्यद साईम, मुहम्मद अली, ऐमन खान, कमलेश कुमार, मोहम्मद सलमान, ज़मीर अहमद रिज़वी, यासीन खान आदि का सहयोग रहा।
No comments