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कोरोना काल ने बना दी गुरु और शिष्य के मध्य फीस की दीवार: सनी अरोरा

गौरव जैन

 रामपुर। कामर्स के अध्यापक सनी अरोरा ने प्रेस को अपने जारी व्यान में कहा कि पुराने समय से माना जाता है कि गुरु और शिष्य के मध्य सिर्फ ज्ञान और प्रेम का रिश्ता होता है लेकिन कोरोना काल ने इस रिश्ते को बदल कर रख दिया। लॉकडाउन के प्रारंभिक काल से सरकारी और निजी विद्यालयों में विद्यार्थियों को ऑनलाइन के माध्यम से कक्षाएं लेना शुरू कर दी थी।
 प्रत्येक शिक्षक ने अपने अपने स्तर पर छात्रों को पढ़ाया  लेकिन लॉक डाउन खत्म हो जाने पर निजी स्कूलों द्वारा फीस मांगे जाने के बाद शिक्षक और शिक्षाथियो के मध्य एक दीवार सी बन गई है।जब दुकान और व्यापार बंद था तब खुला था तो सिर्फ शिक्षा का द्वार। उस कठिन समय में शिक्षक बस यही सोचता रहा कि अपने विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाया जाए, कहीं समय न निकल जाए और विद्यार्थियों का पाठ्यक्रम न छूट जाए, तब  ऐसे में सभी शिक्षकों ने निर्णय लिया कि ऑनलाइन कक्षा शुरू की जाए। जहां सभी व्यक्ति अपने घरों में टीवी देख रहे थे , गाने सुन रहे थे ,आराम कर रहे थे। वहीं शिक्षक मेरी आवाज आ रही है ,क्या मैं दिखाई दे रहा हूं ? क्या नेटवर्क सही आ रहा है ? आदि कामों में लगे हुए थे।
सनी अरोरा ने बताया कि अपने धर्म कर्तव्य और दायित्वों का पालन करने वाले शिक्षक के सामने अब वेतन का ,अपने परिवार के पालन पोषण का संकट बना हुआ है। वेतन संस्था के माध्यम से परन्तु विद्यार्थियों की फीस से दिया जाता है। प्रत्येक संस्था के अपने खर्चे होते है और एक संस्था द्वारा पूरे स्टाफ का वेतन बिना किसी आय के निरंतर रूप से देना संभव नहीं। 
वो शिक्षक जिसके मार्गदर्शन में आपका बालक विकास की ओर निरंतर अग्रसर होता है, उसका अस्तित्व खतरे में है ऐसे में सभी अभिभावक जो सक्षम है आगे आए और जो अभिभावक फीस देने में सक्षम नहीं है वह अपने सुविधानुसार विद्यालय जाकर बात करे।

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