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शिक्षक दिवस के अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में पूर्व छात्र की स्मृति में किया गया पौधरोपण

गौरव जैन



रामपुर। शिक्षक दिवस के अवसर पर नगर में फूटा महल स्थित सरस्वती शिशु मन्दिर के पूर्व छात्र परिषद दृारा विधालय के आचार्यों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ पू॰ छा॰ प॰ के प्रांतीय सह मंत्री शिवांशु रस्तोगी व ज़िला प्रमुख अंशुल वैश्य दृारा दीप प्रज्वलित करके किया गया।
मुख्य अतिथि रामधुन पाल, जिला समन्वयक पू॰ छा॰ प॰ द्वारा डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवनकाल के बारे में व्याख्यान करते हुए बताया कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म मद्रास से चालीस किलोमीटर दूर तमिलनाडु में आंध्रप्रदेश से सटी सीमा के नज़दीक तिरुतन्नी में हुआ था। एक मध्यवर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्मे राधाकृष्णन के पिता वीर सामैय्या उस दौरान तहसीलदार थे। हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करने वाला ये परिवार मूल रूप से सर्वपल्ली नाम के गांव से था। राधाकृष्णन के दादाजी ने गांव छोड़ कर तिरुतन्नी में बसने का फ़ैसला किया था। आठ साल की उम्र तक राधाकृष्णन तिरुतन्नी में ही रहे जिसके बाद उनके पिता ने उनका दाख़िला क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल में करा दिया।इसके बाद तिरुपति के लूथेरियन मिशनरी हाई स्कूल, फिर वूर्चस कॉलेज वेल्लूर और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी की। सोलह साल की उम्र में अपनी दूर की एक रिश्तेदार के साथ उनकी शादी हो गई। बीस साल की उम्र में उन्होंने 'एथिक्स ऑफ़ वेदान्त' पर अपनी थीसिस लिखी जो साल 1908 में प्रकाशित हुई थी। बेहद कम उम्र में राधाकृष्णन ने पढ़ाना शुरू कर दिया था। इक्कीस साल की उम्र में वो मद्रास प्रेसिडेन्सी कॉलेज में फ़िलॉसफ़ी विभाग में जूनियर लेक्चरर बन गए थे। वो आंध्र प्रदेश यूनिवर्सिटी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे और दस साल तक दिल्ली यूनिवर्सिचटी के चांसलर रहे। वो ब्रिटिश एकेडमी में चुने जाने वाले पहले भारतीय फ़ेलो बने और 1948 में यूनेस्को के चेयरमैन भी बनाए गए थे। पू॰ छा॰ प॰ के सभी सदस्यों द्वारा गुरू वंदन किया गया साथ ही विधालय के पूर्व छात्र भैया अनुराग की स्मृति में पौधारोपण किया गया। कार्यक्रम में पूर्व छात्र गौरव जैन, शकुन गुप्ता, अंकित गुप्ता व शोभित अग्रवाल आदि उपस्थित रहे। अंत में सह ज़िला प्रमुख शकुन गुप्ता ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद किया।

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