किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने कांग्रेस के प्रदेश महासचिव का रामपुर आगमन पर किया स्वागत
फ़राज़ कलीम खान
रामपुर। कांग्रेस उत्तर प्रदेश के महासचिव विदित चौधरी का रामपुर हाइवे पर बने पीडब्लूडी गेस्ट हाउस पर आगमन हुआ जिसमें कांग्रेस किसान के जिला अध्यक्ष हाजी नाज़िश खान ने पहुँच कर जोरदार स्वागत किया और किसानों को लेकर चल रही सरकार की तानाशाही से रूबरू कराया एवं किसानों की समस्याओं को विदित चौधरी जी के समक्ष रखा।
किसान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हाजी नाज़िश खान ने विदित चौधरी को बताया कि किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर करने के मकसद से 18 नवंबर 2004 को केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने पांच रिपोर्ट सौंपी थीं इस रिपोर्ट पर आज तक हमारी संसद में चर्चा तक नहीं हुई है। नाज़िश ने कहा कि हमारी सरकारें और हमारे प्रतिनिधि किसानों को लेकर कितना सोचते हैं। आज भी किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को वर्ष 2007 से लागू करने की मांग करते हैं।
क्या है किसानों की मांग किसान स्वामीनाथन आयोग में न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के तरीके को लागू करने पर जोर देते हैं। भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण 'कृषि लागत एवं मूल्य आयोग' की अनुशंसा के आधार पर किया जाता है।
कृषि मूल्य आयोग की स्थापना 1965 में हुई थी। 1985 में 'लागत निर्धारण' भी इस आयोग का हिस्सा बना था. तभी से इसे 'कृषि लागत एवं मूल्य आयोग' के नाम से जाना जाता है. कृषि लागत एवं मूल्य आयोग 23 वस्तुओं के एमएसपी की सिफारिश करता है।
इसमें 7 अनाज (धान, गेहूं, मक्का, शर्बत, मोती बाजरा, जौ और रागी), 5 दालें (चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर), 7 तिलहन (मूंगफली) , रेपसीड-सरसों, सोयाबीन, समुद्री घास, सूरजमुखी, कुसुम, निगर्सिड) और 4 वाणिज्यिक फसलें (खोपरा, गन्ना, कपास और कच्ची जूट) शामिल हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य का अर्थ है, फसल की वह न्यूनतम दर जिस पर किसान से फसल खरीदी जाएगी. एमएसपी को लागू करने के पीछे का जो तर्क था कि अधिक उत्पादन की स्थिति में भी कृषि उत्पादों के दाम बाजार में न गिरें और किसानों को नुकसान न हो।
सरकार एमएसपी पर फसल खरीद कर एफसीआई और नेफेड के गोदामों में रखती है। यही अनाज पीडीएस के जरिए गरीबों के बीच में बांटती है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग का एक तथ्य यह भी है कि इस पूरी समिति में अध्यक्ष को छोड़कर बाकी सभी पद खाली पड़े है।
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